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काशी विश्वनाथ मंदिर


निर्देश के बावजूद अपनी आय की घोषणा न करने वाले काशी विश्वनाथ मंदिर के अर्चकों, लिपिकों और सेवादारों के मानदेय पर न्यास परिषद ने रोक लगा दी है। परिषद ने फैसला लिया है कि जो अपनी आय घोषित नहीं करेगा, उसे मानदेय नहीं दिया जाएगा। मंदिर प्रशासन चालू महीने से ही इनके मानदेय पर रोक लगाने की तैयारी में है। बता दें प्रमुख सचिव (धर्मार्थ कार्य) ने मंदिर के कर्मचारियों को अपनी आय की घोषित करने का निर्देश दिया था लेकिन इस पर अमल नहीं किया गया। जिन कर्मचारियों, सेवादारों को मामूली मानदेय मिलता है, उन्होंने करोड़ों रुपये की संपत्ति कैसे और कहां से अर्जित की, यह सवाल उठ रहा है।

काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने न्यास के फैसले के अनुपालन में लिपिकों, अर्चकों और सेवादारों से आय का ब्यौरा तलब किया है। फिलहाल अभी तक किसी भी कर्मचारी ने अपनी आय का ब्यौरा प्रशासन को नहीं दिया है। मंदिर में तैनात 21 अर्चकों, छह लिपिकों, 20 सेवादारों के अलावा एक परिचारक और एक चालक को मिलाकर कुल 49 कर्मचारी तैनात हैं। इनमें से कई कर्मचारियों के शहर में तीन से अधिक मकान, प्लाट भी हैं। ऐसे में इनके पास करोड़ों की संपत्ति अर्जित हो चुकी है। बाबा की दक्षिणा और महज 06 से 13 हजार रुपये महीने के मानदेय वाले कर्मचारियों के पास इतनी संपत्ति कहां से आई यह बड़ा सवाल है। वर्ष 1983 में जब इस मंदिर का प्रदेश सरकार ने अधिग्रहण किया तब इनमें से तमाम कर्मचारियों को वहां तैनाती भी नहीं मिल सकी थी। मंदिर प्रशासन का कहना है कि कर्मचारियों को अपनी अपने माता, पिता, पत्नी, पुत्र और पुत्री, बहू की संपत्तियों का भी विवरण देना होगा। 20 अप्रैल तक अगर आय का विवरण इन कर्मियों ने नहीं दिया तो मानदेय पर रोक लगा दी जाएगी।

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